बूंदीजिले के बिजलवां गांव के एक किसान श्रीनारायण के पुत्र सौभागमल मीणा ने बीए, बीएड तक की पढ़ाई के बाद नौकरी की बजाय खेती को चुना है। उसका लक्ष्य खेती से सालाना 10 लाख की आमदनी करना है। सौभाग ने परंपरागत खेती को दरकिनार कर आधुनिक संसाधनों का उपयोग कर इंटरक्रॉपिंग फसल करना शुरू कर दिया है। प|ी राधा देवी भी पूरी मेहनत और लगन के साथ उसका हाथ बंटा रही है। सौभाग का कहना है कि पढ़े-लिखे युवक जिनके पास भूमि है, वे खेती करके भी नौकरी से अधिक पैसा कमा सकते हैं।
बचपनसे ही था शौक
सौभागने बताया कि उसको बचपन से ही फल अन्य किस्म के पौधे लगाने का शौक था। इसके साथ ही उसने बीए, बीएड किया। उसके बाद नौकरी की बजाय कृषि को प्राथमिकता दी। उसके पास 35 बीघा बरड़ा (बंजर) भूमि थी। इस पर पानी की कमी के कारण खरीफ की फसल होती थी। तीन वर्ष पूर्व इंटरक्रॉपिंग फसल करने का निर्णय लेते हुए बगीचा लगाने का मानस बनाया। सरकारी अनुदान से पक्का फार्म पोंड बनाया, जो बरसात के पानी से लबालब भर जाता है। फार्म पोंड तैयार होने के बाद उसने 25 बीघा भूमि में 20-20 फीट की दूरी पर कलमी अमरूद के पौधे रोपककर अमरूद का बगीचा लगाया और बूंद-बूंद पानी का सिंचाई में उपयोग करने के लिए ड्रिप सिंचाई की व्यवस्था की। इस वर्ष सर्दी के मौसम में अमरूद की फसल से उत्पादन शुरू हो जाएगा। पहले वर्ष तीन लाख रुपए के अमरूद का उत्पादन होगा जो साल-दर-साल बढ़ता जाएगा।