धार्मिक व्यक्ति यह मानता है कि ईश्वर की असीम चेतना उसकी चेतना से जुड़ी है, इसलिए उसमें अतिरिक्त सकारात्मक ऊर्जा और आशावाद होता है। ईश्वर का स्वरूप मनुष्य करुणा, आनंद, सौंदर्य आदि गुणों के स्रोत के रूप में महसूस करता है, इसलिए इन गुणों की उपस्थिति वह अपने जीवन में लगातार महसूस करता है।