उनके इस नाम के पीछे की कहानी बेहद दिलचस्प है. उन्होंने 2016 में इंडिया टुडे को दिए इंटरव्यू में इसका खुलासा किया था. दरअसल,1960 में मिल्खा को पाकिस्तान की इंटरनेशनल एथलीट प्रतियोगिता में भाग लेने का न्योता मिला था. मिल्खा देश बंटवारे के गम को नहीं भुला पा रहे थे, इसलिए वह पाकिस्तान नहीं जाना चाहते थे.