“आग बबूला होना” अर्थात अत्यंत गुस्सा होना।
“अंगारे उगलना” अर्थात अत्यधिक क्रोधित होना।
“अंगूठा दिखाना” अर्थात किसी कार्य को करने से साफ इनकार करना।
“अक्ल पर पत्थर पड़ना” अर्थात बुद्धि से काम ना लेना।
“अगर मगर करना” अर्थात किसी कार्य को करने से बहाना बनाना।
“अंग अंग ढीला होना” अर्थात बहुत अधिक थक जाना।
“अंक भरना” या “अंग लगाना” अर्थात गले लगना या आलिंगन करना।
“अंधे की लकड़ी” अर्थात किसी व्यक्ति के जीने का एकमात्र सहारा।
“अक्ल घास चरने जाना” अर्थात बुद्धि का काम ना करना।
“अंत पाना” अर्थात किसी का भेद जानना।
“अपना सा मुंह लेकर रह जाना” अर्थात लज्जित होना।
“जहर का घूंट पीना” अर्थात क्रोध को अपने अंदर ही दबा देना।
“अपने मुंह मियां मिट्ठू पकाना” अर्थात अपनी प्रशंसा स्वयं करना।
“अपने पांव पर कुल्हाड़ी मारना” अर्थात अपनी हानि स्वयं करना।
“आंखें चुराना” अर्थात देख कर अनदेखा करना या सुन कर अनसुना करना।
“आंखें बिछाना” अर्थात लंबे समय से किसी का इंतजार करना।
“अपनी खिचड़ी अलग पकाना” अर्थात स्वार्थी होना या अलग रहना।
“आंखें दिखाना” अर्थात किसी को क्रोध की भावना से देखना।
“आंखों का तारा” अर्थात बहुत प्रिय होना।
“आंच ना आने देना” अर्थात हानि ना होने देना।
"अपना सा मुंह लेकर रह जाना" अर्थात काम न बनना।आटा गीला होना–कठिनाई/मुश्किल में पड़ना
"आकाश में उड़ना" अर्थात कल्पना/ख्वाब में घूमना
"अंधा होना" अर्थात कुछ न सूझना।
"अपना उल्लू सीधा करना" अर्थात स्वार्थ सिद्ध करना।
"आपे से बाहर होना" अर्थात क्रोध से अपने वश में न रहना
"अंगारों पर लोटना" अर्थात ईर्ष्या और जलन से कुढ़ना।
"अँधेरे में तीर चलाना" अर्थात लक्ष्यविहीन प्रयास करना, अंदाजा लगाना।
"अंगार बरसना" अर्थात कड़ी धूप होना।
"आगे का पैर पीछे पड़ना" अर्थात विपरीत गति या दशा में पड़ना
"आटे दाल की फ़िक्र होना" अर्थात जीविका की चिन्ता होना
"अक्ल का दुश्मन होना" अर्थात मूर्ख होना।
"आकाश से बातें करना" अर्थात काफी ऊँचा होना
"धब्बा लगना" अर्थात कलंकित करना
"उंगली पर नचाना" अर्थात वश में करना।
"अंग-अंग खिल उठना" अर्थात खुश हो जाना।
"घोड़े बेचकर सोना" अर्थात बेफिक्र होना, चिंता न होना
"अंधेर नगरी" अर्थात कोई नियम कानून न होना।
"अंगद का पैर होना" अर्थात बिल्कुल न हिलना।
"अँधेरे घर का उजाला" अर्थात इकलौता बेटा