इन्द्र उसके सौंदर्य पर मोहित हो गए और उनके मन में काम भाव जागा। उन्होंने स्त्री रूपी ऋक्षराज के साथ सम्भोग किया और कालान्तर में ऋक्षराज ने एक बालक को जन्म दिया जिसके सुन्दर केश अर्थात् बाल होने के कारण उसका नाम बालि रखा गया। ऋक्षराज ने अपने पुत्र बालि को महर्षि गौतम और उनकी पत्नी अहल्या को सौंप दिया।