आवेदक के नियामक द्वारा की गई कोई भी पिछली कार्रवाई जरूरी नहीं हो सकती है
ऐसे आवेदक को तब तक अपात्र बनाना जब तक कि ऐसी कार्रवाई का परिणाम न हो
उसका पंजीकरण रद्द करना। जहां कार्रवाई निलंबन की प्रकृति की थी
नियामक के साथ पंजीकरण और निलंबन की अवधि समाप्त हो गई है, तो
पंजीकरण के इस तरह के निलंबन से आवेदक को अपात्र नहीं बनाया जाएगा।