राजेंद्र सिंह, उर्फ़, 'Waterman of India' ने भारतीयों को साफ़ पानी मुहैया कराने की ज़िम्मेदारी ली. राजेंद्र ने पानी की बचत करने के लिए देसी तरीकों का इस्तेमाल करने पर ज़ोर दिया. इन देसी तरीकों में से एक तरीका है, 'जोहड़'. ये एक चंद्राकार टैंक है, जिसमें बारिश के पानी को संरक्षित किया जाता है. 80 के दशक के बाद पानी बचाने का ये तरीका गुम सा हो गया था. इस कारण अलवर के कई गांव के कुंए सूख गए थे. राजेंद्र जी और 'तरुण भारत संघ' ने मिलकर अलग-अलग गांवों में 375 जोहड़ बनवाए और इनसे गर्मियों में सूख जाने वाले नदियों और तालाब में पानी भरा रहने लगा.