दिल्ली में सुरक्षा व्यवस्था के बिगड़ते हालात की वजह से अधिकतर कॉलोनियों में RWA बनाकर सबने मिलकर अपने खर्च पर गेट लगाए हैं। दिन में तो अक्सर गेट खुले ही रहते हैं, लेकिन रात में भी गेट खुले रखे गए तो फिर इतना पैसा खर्च करके गेट लगवाने का क्या फायदा हुआ। पूरे दिन काम करके थके हारे लोगों को रात में आराम करना होता है, गेट खुला रखने से शरारती और नशेड़ी आपराधिक तत्व बाहर खड़ी गाड़ियों से बैटरी, टायर वगैरह चुरा लेते हैं। घरों में ताले लगे देखकर असामाजिक तत्व सेल्समैन, हॉकर बनकर दिन में रेकी करते हैं और रात को चोरी करते हैं। इमरजेंसी गाड़ियों के लिए यह उपाय हो सकता है कि हर गेट पर RWA के पदाधिकारियों के नंबर लिखे होते हैं, प्रधान वगैरह को कॉल करके फौरन गेट खुलवाया जा सकता है। हमने हर कॉलोनी में गलियों में RWA बनाकर वहां के सभी निवासियों के वॉट्सऐप ग्रुप बना रखे हैं। इन ग्रुप्स में उस एरिया के फायर ब्रिगेड, एंबुलेंस वगैरह के जिम्मेदार अधिकारियों को शामिल किया जा सकता है, ताकि आपातकाल की स्थिति में उनको सूचना देकर आपातकालीन गाड़ी के गेट पर पहुंचने से पहले गेट खुलवाया जा सके। यह बात तर्कसंगत नहीं है कि रात को भी गेट खुले रखे जाएं, क्योंकि पुलिस हर समय गश्त नहीं लगा सकती।