कबीर दास ने अंधविश्वास को तोड़ने के लिए मगहर में 1518 में देह त्यागी थी. मगहर के बारे में कहा जाता था कि यहां मरने वाला व्यक्ति नरक में जाता है. कबीर का अधिकांश जीवन काशी में व्यतीत हुआ था. संत कबीर दास ने अपना पूरा जीवन काशी में बिताया लेकिन जीवन का अंतिम समय मगहर में बिताया था